अंशुल त्यागी, पंचसूत्रों पर आधारित दो दिवसीय अधिवेशन सम्पन्न
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा, 29 दिसंबर 2024:
भारत विकास परिषद (BVP) के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के प्रांगण में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। “स्वस्थ, समर्थ और संस्कारित भारत” की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से आयोजित इस दो दिवसीय अधिवेशन में चार हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। इस अधिवेशन का केंद्र बिंदु परिषद के “पंचसूत्र” – संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा, और समर्पण रहा।
अधिवेशन का शुभारंभ ध्वजारोहण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। वंदेमातरम् और भारत माता की जय के उद्घोष से समस्त वातावरण राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया। मुख्य अतिथियों ने परिषद द्वारा किए गए सेवा और संस्कार कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और स्मारिका का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के पहले दिन, पद्मश्री बाबा सेवा सिंह ने अपने आशीर्वचन में पर्यावरण संरक्षण और समाज के परोपकारी बनने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “इंसान ने पहाड़ और जंगल काट दिए, पानी और हवा को दूषित कर दिया। हमें पर्यावरण को शुद्ध करने और इसे बचाने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा।” बाबा सेवा सिंह ने पंजाब में मिनी जंगल बनाकर पर्यावरण संरक्षण के अपने प्रयास साझा किए।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुरेश जैन ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि “भारत विकास परिषद का उद्देश्य समाज को संस्कारित करना और सेवा भावना को जन-जन तक पहुंचाना है। परिवार से संस्कारों की शुरुआत होनी चाहिए। एक संस्कारित परिवार ही संस्कारित समाज और श्रेष्ठ संगठन का निर्माण करता है।” उन्होंने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि अधिवेशन से यह संकल्प लेकर जाएं कि अपने परिवार को आदर्श परिवार बनाएंगे।
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायमूर्ति श्री आदर्श कुमार गोयल ने कहा, “भारत विकास परिषद का ध्येय समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा और संस्कार को पहुंचाना है। पंजाब की यह धरती त्याग और बलिदान की प्रतीक है, और इसी भावना को लेकर परिषद आगे बढ़ रही है।”
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर और राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक मित्तल ने इस अधिवेशन की मेजबानी पर गर्व जताया और परिषद के ध्येय को अपने समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “जो काम 1963 से भारत विकास परिषद कर रही है, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के नारे को साकार करता है।”
अधिवेशन में उभरे विचार और लिए गए निर्णयों को जल्द ही देशभर में लागू किया जाएगा। सामाजिक समरसता, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा का प्रचार, और संस्कारों के प्रसार को लेकर परिषद के कार्यकर्ता नए उत्साह के साथ जुट गए हैं।
भारत विकास परिषद के पंचसूत्र न केवल संगठन को सशक्त बनाते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए नई दिशा प्रदान करते हैं। यह अधिवेशन ‘श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा।
भारत विकास परिषद: सेवा और संस्कार के साथ राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर।
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