हिंदी सिनेमा कैसे बना ‘बॉलीवुड’, वजह जान हो जाएंगे हैरान

नेहा राठौर

भारत में सिनेमा का इतिहास काफी पुराना है यही कोई लगभग 100 साल पुराना। इन सौ सालों में भारतीय सिनेमा ने काफी उतार-चढ़ाव देखें हैं। जिस तरह हिंदुस्तान में लोग मां-बाऊ जी को मम्मी-पापा कहने लगे है ना.. उसी तरह अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री (Hindi Film Industry) के नाम में भी बदलाव हो गया है। अब हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड कहा जाता है। इतना ही नहीं दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने का रिकॉर्ड भी भारत के ही नाम है। सेंसर बोर्ड (Censor Board) के मुताबिक भारत में हर साल करीब 20 अलग-अलग भाषाओं में 1500  से 2000 फिल्में  बनाई जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) को बॉलीवुड (Bollywood), साउथ की फिल्मों को टॉलीवुड (Tollywood), कॉलीवुड (Kollywood) और अमेरिकी फिल्मों को हॉलीवुड (Hollywood) क्यों कहा जाता है। आखिर ये शब्द भारतीय सिनेमा को किसने दिए?

ज्यादातर लोगों को ये लगता है कि फिल्मों की तरह हमने बॉलीवुड का नाम भी हॉलीवुड से कॉपी किया है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। कहा जाता है कि साल 1976 में सिनेब्लिट्ज मैगजीन की कॉलमिस्ट बेविंडा कोलैको ने सबसे पहले बॉम्बे के लिए बॉलीवुड शब्द का प्रयोग किया था। लेकिन इस शब्द को इस्तेमाल करने की नौबत ही क्यों पड़ी।

यह भी पढें- इंकलाब, अमित श्रीवास्तव और अमिताभ बच्चन… ये है सदी के महानायक की असली पहचान

भारतीय सिनेमा का टॉलीगंज से टॉलीवुड फिर बॉलीवुड तक का सफर
बता दें कि बंगाल (Bangle) की राजधानी कोलकाता (Kolkata) में ‘टॉलीगंज’ नामक एक जगह है जहां पहले बंगली फिल्में बना करती थीं। सीधे शब्दों में कहें तो यहां बंगाली फिल्म इंडस्ट्री (Bengali Film Industry) का मुख्य केंद्र हुआ करता था। यही कारण था कि इसका नाम ‘टॉलीवु़ड’ पड़ गया। हिंदी सिनेमा ने भी इसी से प्रेरणा ली और सेंटर बॉम्बे (Center Bombay) के लिए ‘बॉलीवुड’ शब्द का इस्तेमाल होने लगा। हालांकि भारतीय सिनेमा को बॉलीवुड कहा जरूर जाता है लेकिन यह इसका आधिकारिक नाम नहीं है। यह नाम तो सिर्फ ज्यादा बोले जाने की वजह से प्रचलित हो गया है। जानकारी के मुताबिक, टॉलीवुड शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले साल 1932 में किया गया था। इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल विलफोर्ड ई डेमिंग नाम के साउंड इंजीनियर (Sound Engineer) ने किया था। वहीं यह शब्द सबसे पहले अमेरिकन सिनेमेटोग्राफर पत्रिका में इस्तेमाल किया गया था।

भारतीय सिनेमा के लिए नहीं है बॉलीवुड
पूरे भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के लिए ‘बॉलीवुड’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ज्यादातर लोग इसे पूरे भारतीय सिनेमा के लिए इस्तेमाल करते हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। बता दें कि भारतीय उद्योग (Indian Industry) में 20 से भी ज्यादा भाषाओं में फिल्में बनाई जाती हैं। हालांकि सदी के महानायक यानी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) इस शब्द को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। उनके लिए बॉलीवुड जैसा शब्द बिल्कुल भी मायने नहीं रखता है। वह हिंदी सिनेमा शब्द को ही पसंद करते हैं।

यही भी पढें- विनोद मेहरा, अमिताभ बच्चन और मुकेश अग्रवाल: ये हैं अभिनेत्री रेखा के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

हॉलीवुड नाम के पीछे भी इसी तरह की धारणा है। दरअसल, अमेरिका के लॉस एंजिल्स में एक शहर का नाम हॉलीवुड है। जोकि अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री का केंद्र है। यही कारण है कि सिनेमा के लिए हॉलीवुड शब्द का इस्तेमाल किया गया। आपको बता दें कि भारत में साल के भीतर करीब 1500 फिल्में बनती हैं लेकिन इसके बावजूद भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सालाना आय लगभग 2.1 डॉलर यानी 13,800 करोड़ रुपये है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री टॉलीवुड है। इतनी फिल्में बनाने के बाद भी हम दुनिया में बाकी फिल्म इंडस्ट्री से कारोबार के मामले में पीछे हैं।

भारतीय सिनेमा का इतिहास (History Of Indian Cinema)
साल 1913 में भारतीय सिनेमा की शुरुआत मानी जाती है। भारत की पहली मूक फिल्म Raja Harishchandra थी। इसको बनाने वाले दादासाहेब फाल्के (Dada Saheb Phalke) थे। उन्होंने 1913 और 1918 के दौरान करीब 23 फिल्में बनाई थीं। दादा साहेब फाल्के ने ही भारत में फिल्म उद्योग की नींव रखी थी। आज भी जब सिनेमा के इतिहास की बात की जाती है तो दादा साहेब फाल्के और उनके द्वारा बनाई गई पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र का नाम जरूर लिया जाता है। उन्होंने काफी सीमित संसाधनों के बावजूद एक शानदार फिल्म का निर्माण किया था। साल 1950 और 1960 को भारतीय सिनेमा के इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि यही वह समय था जब गुरु दत्त, दिलीप कुमारी, राज कपूर, मीना कुमारी, नरगिस और मधुबाला जैसे महान कलाकारों ने सिनेमा को एक नए मुकाम पर पहुंचा था।

By Quick News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *