इंकलाब, अमित श्रीवास्तव और अमिताभ बच्चन… ये है सदी के महानायक की असली पहचान

नेहा राठौर

‘नाम है शहंशाह’ इस डायलॉग को जानते हैं आप? ये डायलॉग और किसी का नहीं बल्कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का है, जिन्हें हम प्यार से बिग बी भी कहते हैं। अपनी अदाकारी और आवाज से लोगों के दिलों पर राज करने वाले अमिताभ बच्चन का सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बोलबाला है। आपको याद होगा, पिछले साल जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब लोगों को सावधान करने और वायरस से बचने की गाइडलाइन्स याद दिलाने के लिए अमिताभ बच्चन की आवाज का ही प्रयोग किया गया था। वैसे तो लोग अमिताभ बच्चन को उनके द्वारा निभाए गए किरदारों के जरिए ही जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन किरदारों के पिछे अमित नाम का एक शख्स भी छिपा है। जिसकी पर्दे के पीछे अपनी ही एक अलग दुनिया है। सिनेमा के शोर गोल, चकाचौंध से दूर जिसकी जान सिर्फ अपनों में बसती है। अमिताभ बच्चन के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन अमित के बारे में किसी को शायद ही पता होगा। तो आइए आज हम हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमित के बारे में जानेंगे।

यह भी पढ़ें- दिनेश लाल यादव कैसे बने निरहुआ, ये है उनके जीवन की पूरी दास्तां 

Amitabh Bachchan and his mother teji bachchan

कभी पाकिस्तान से भी था नाता
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्में अमिताभ बच्चन के पिता डॉ हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जबकि उनकी मां तेजी बच्चन (Teji Bachchan) अविभाजित भारत के कराची (Karachi) शहर की रहने वाली थीं जो अब पाकिस्तान में हैं। शुरू में अमित जी का नाम इंकलाब (Inqalab) रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस्तेमाल किए गए प्रेरक वाक्यांश ‘इंकलाब जिंदाबाद’ से लिया गया था। फिर बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) ने इनका नाम अमिताभ रख दिया। जिसका मतलब है ‘शाश्वत प्रकाश’। अमित जी का उपनाम श्रीवास्तव है, लेकिन उनके पिता जी ने इस उपनाम को अपनी कृतियों को प्रकाशित करने वाले बच्चन नाम से बदल दिया। आज वे इसी उपनाम से पूरी दुनिया में विख्यात हैं। 

अमित जी का एक छोटा भाई भी है। जिनका नाम अजिताभ है। अमित जी की माता को थिएटर का बहुत शौक था, उन्हें फिल्म में एक रोल की पेशकश भी की गई थी। लेकिन उन्हें घर संभालना ही चुना। अमिताभ के करियर के चुनाव में उनकी माता की इच्छा झलकती है। क्योंकि वे हमेशा इस बात पर जोर दिया करती थीं कि उन्हें सेंटर स्टेज पर अपनी किस्मत आजमानी चाहिए। कुछ समय बाद साल 2003 उनके पिता का देहांत हो गया और साल 2007 में उनका मां चल बसीं। अमिताभ बच्चन ने दो बार M.A की उपाधि ग्रहण की और इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल से Master Of Arts की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे पढ़ाई के लिए Delhi University के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां उन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि हासिल की। आपको बता दें कि बच्चन साहब ने अभिनय में अपनी किस्मत आजमाने के लिए Kolkata की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी भी छोड़ दी थी। उन्होंने 3 जून 1973 को बंगाली रीति-रिवाजों के अनुसार अभिनेत्री जया भादुड़ी (Jaya Bahaduri) से शादी कर ली। उनके दो बच्चे हैं अभिषेक बच्चन और श्वेता नंदा।

करियर की ओर पहला कदम

Movie Poster Of Sath Hindustani

अमिताभ ने फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत ख्वाजा अहमद अब्बास (Khwaja Ahmad Abbas) के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिन्दुस्तानी (Saat Hindustani) से की थी। हालांकि इस फिल्म ने इतनी सफलता प्राप्त नहीं की लेकिन उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरस्कार जीता था। इसके बाद उन्होंने एक और आनंद (1971) नामक फिल्म में राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार की भूमिका अदा करने के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद अमिताभ ने (1971) में बनी परवाना (Parwana) में एक मायूस प्रेमी का किरदार निभाया। इसके बाद उनकी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाईं। 

यह भी पढ़ें- Biography of Smriti Irani: स्मृति ईरानी का अभिनेत्री से राजनेत्री बनने तक का सफर

Some Of Best Movies Of Amitabh Bachchan

इसके बाद उन्होंने 1973 में फिल्म जंजीर में इंस्पेक्टर विजय खन्ना का किरदार निभाया, ये वही फिल्म थी जिसने अमिताभ बच्चन के कैरियर को एक नया मोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने रोटी कपड़ा मकान और कंवारा बाप जैसे कई फिल्मों में सहायक कलाकार की भूमिका निभाई। साल 1974 में उनकी फिल्म शोले रिलीज हुई जो भारत में किसी भी समय की सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाली फिल्म बन गई, जिसने करीब 2,36,45,00,000 रुपए कमाए थे। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्म दी, जिन्होंने सिनेमा जगत में काफी नाम कमाया। हाल ही में उनकी एक और फिल्म रिलीज हुई ‘Good Bye’ इस फिल्म में उन्होंने एक पिता का किरदार निभाया है, यह फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही, लेकिन इसकी कहानी आम जीवन पर ही आधारित है। 

राजनीति का सफर


साल 1984 में अमिताभ बच्चन ने अभिनय से कुछ समय के लिए ब्रेक ले लिया और अपने मित्र राजीव गांधी के सपोर्ट में राजनीति में आ गए। इस दौरान उन्होंने इलाहाबाद लोकसभा सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री Hemwati Nandan Bahuguna को आम चुनाव के इतिहास में करीब 68.2% के मार्जिन से हराया था। हालांकि वे कुछ समय के लिए ही राजनीति में रहे, तीन साल बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक अवधि को पूरा किए बिना ही छोड़ दिया। इसके पीछे उनके भाई का नाम बोफोर्स विवाद में अखबार में आना था। इस चक्कर में उन्हें अदालत भी जाना पड़ा। हालांकि इस मामले में बच्चन निर्दोष साबित हुए।

उसके बाद बच्चन ने अपने मित्र अमरसिंह के साथ समाजवादी पार्टी को अपना सहयोग देना शुरू कर दिया। वहीं, जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी और राज्यसभा की सदस्य भी बन गईं थीं। बच्चन ने समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन देना जारी रखा, जिसमें राजनीतिक अभियान यानी प्रचार प्रसार भी शामिल था। इनकी इन्हीं गतिविधियों ने एक बार फिर उन्हें मुसीबत में डाल दिया और उन्हें फिर अदालत जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम नहीं रखा।

By Quick News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *