07
Apr
डिम्पल भारद्वाज- इस सप्ताह तमिल, तेलगु, कन्नड, के साथ साथ अगस्त 16,1947 को मेकर ने हिंदी में भी रिलीज किया। देश की आजादी की जंग की यह एक ऐसी कहानी है जिसका कही जिक्र नहीं है एक ऐसी खोई हुई कहानी जो देश को आजादी मिलने वाले दिन यानी 15 अगस्त से तीन दिन पहले शुरू होती है और आजादी मिलने के अगले दिन यानी 16 अगस्त को खत्म होती है। साउथ के एक छोटे से गांव सेंगाडु में कपास की खेती होती है । इस गांव के लोगो को आजादी की खबर एक दिन बाद चलती है । अंग्रेज…