हिमालय बचाओ, जीवन बचाओ: किशोर उपाध्याय की विश्व पर्यावरण दिवस पर जलवायु संकट को लेकर वैश्विक चेतावनी

अंशुल त्यागी, नई दिल्ली, 5 जून 2025:
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘Voice of Ganga and Himalaya – A Global Organization’ के तत्वावधान में “Melting Himalayan Glaciers, Dying Ganga” विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम IIC, नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की बिगड़ती स्थिति पर वैश्विक चिंता जताई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान ने कहा:
“हिमालय और गंगा भारत की आत्मा हैं। इनका संरक्षण हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है और इसे एक जन आंदोलन का रूप देना होगा।”

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वरिष्ठ पर्यावरणविद किशोर उपाध्याय, जो तीन बार टिहरी विधानसभा से विधायक और The Global Himalay Organisation के मेंटर हैं, ने आगाह किया कि:
“हिमालय का संकट केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक आपदा का संकेत है। ग्लेशियरों का पिघलना हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी का संकट पैदा कर सकता है।”

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उन्होंने स्वालबार्ड (नॉर्वे) और आर्कटिक क्षेत्र में ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने संबंधी वैश्विक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि यह परिदृश्य हिमालयी क्षेत्र के लिए गंभीर चेतावनी है।

इस अभियान में Save Himalaya Charitable Foundation Maharashtra की सक्रिय भागीदारी रही। संस्था के CEO आशीष तुली ने कहा:
“हिमालय का संरक्षण मानवता के अस्तित्व का प्रश्न है। यह सिर्फ पर्यावरण नहीं, जीवन का सवाल है।”

फाउंडेशन के ट्रस्टी करण दोशी ने कहा:
“हिमालय केवल बर्फ नहीं, हमारी संस्कृति और जीवन की निरंतरता है। इसे बचाना हमारी भावनात्मक और वैज्ञानिक ज़िम्मेदारी है।”

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लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए. के. बाजपेयी ने चेतावनी दी कि:
“हिमालय का संकट अब राष्ट्रीय अस्तित्व का संकट बन चुका है। नीतियों को अब आपातकालीन मोड में पर्यावरण केंद्रित करना होगा।”

किशोर उपाध्याय ने बताया कि वह टिहरी डैम विस्थापन, वन अधिकार और नदियों के संरक्षण जैसे मुद्दों पर दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। वे दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ नीति निर्माण से जुड़े रहे हैं और INTACH जैसे संस्थानों के साथ सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं।

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कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया:
“Save Himalayas, Save Water, Save Lives”,
और सरकारों व वैश्विक संस्थाओं से अपील की कि वे जलवायु संकट को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और हिमालय संरक्षण हेतु स्थायी नीति बनाएं।

By Quick News

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