अंशुल त्यागी- 75 साल की उम्र में शरद यादव इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन, उनकी जिंदगी में जो उन्होनें पाया वो पाने के लिए शायद कई नेताओं की जिंदगी भी कम पड़ जाए, आइये उनके बचपन से अब तक के सफर पर नज़र डालते हैं।
Former Union minister Sharad Yadav dies aged 75: एमपी के होशंगाबाद में 1 जुलाई 1947 को एक किसान परिवार में जन्मे शरद यादव की पढ़ाई के समय से ही राजनीति में रुची थी और 1971 में इंजीनियरिंग के समय ही वो जबलपुर मध्यप्रदेश छात्र संघ के अध्यक्ष बने, उन्होनें B.E. (सिविल) में गोल्ड जीता और डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर कई बड़े आंदोलन का हिस्सा बने। शरद यादव MISA के अंतगर्त 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में भी लिए गए।
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मंडल कमीशन की सिफारिश लागू कराने वालों में शरद यादव का महत्वपूर्ण योगदान रहा, इन्हें पहली बार 1974 में जबलपुर की जनता ने लोकसभा सीट से जिताया और पहली बार ये सांसद चुने गए। जेपी आंदोलन के समय, हल्दर किसान के रूप में चुने गए पहले उम्मीदवार शरद यादव 1977 में इसी सीट से दोबारा सांसद बने और उस समय वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे। 1986 में राज्यसभा और 1989 में यूपी की बदाऊं से ये तीसरी बार सांसद बने। 1989-90 में टेक्सटाइल एवं फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री, 1991 से 2014 तक फिर बिहार मधेपुरा से सांसद रहने के बाद 1995 में वो जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए और 1996 में 5वीं बार सासंद बने। समय बढ़ा तो 1997 में वो जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए और 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया। 1 जुलाई 2001 को केंद्रीय श्रम मंत्रालय मिला और 2004 में दूसरी बार राज्यसभा सांसद बनने का मौका। शरद यादव इन सभी के अलावा भी गृह मंत्रालय की कई कमेटियों में रहे… 2009 में इन्हें सातवीं बार जनता द्वारा सांसद चुना गया और शहरी विकास समिति का अध्यक्ष पद इन्हें दिया गया। पहली बड़ी हार का सामना 2014 में इन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान मधेपुरा सीट गंवा कर करना पड़ा। पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे शरद यादव का 12 जनवरी 2023 को गुरुग्राम फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।
सम्मान
सन् 2012, संसद में शरद यादव के योगदान के चलते इन्हें ‘उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012’ मिला। उस दौरान लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार थीं।