अंशुल त्यागी
आजादी आंदोलन के महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के बलिदान दिवस 23 मार्च के उपलक्ष्य में गौ माता सेवा संस्था ने तिरंगा यात्रा (Tiranga Yatra) की शुरूआत की। शहीदों की याद में तिरंगा यात्रा का शुभारंभ कर गीत मेरा रंग दे बसंती चोला के साथ हुआ। यात्रा में संस्था के सभी कार्यकर्ताओं ने क्रांतिकारियों के जीवन संघर्ष के बारे में बात रखते हुए बताया कि आज हमें क्रांतिकारियों के बलिदान दिवस मनाने और उनके विचारों को समाज तक पहुंचाने की आवश्यकता है। आजादी आंदोलन के समय देश व समाज के प्रति जो भावना नौजवानों में थी, वह आज देखने को नहीं मिलती है। वर्तमान समाज में कई समस्याएं विद्यमान हैं, ऐसे में इन समस्याओं के खिलाफ छात्रों व नौजवानों के बीच एक बेहतर आदर्श को स्थापित करने की आवश्यकता है।

क्या हुआ था ?
आजादी आंदोलन के समय 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में एक सभा आयोजित की गई। सभा में हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग उपस्थित थे, तभी अंग्रेज गवर्नर जनरल डायर ने उपस्थित लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते रहे, लेकिन कोई भी नहीं बच सका। बाग में स्थित कुआं लाशों से पट गया। इस हृदय विदारक व दमनकारी घटना ने भगत सिंह को झकझोर दिया। उन्होंने शपथ ली कि वह अंग्रेजों को अपने देश से निकालकर ही दम लेंगे। भगत सिंह का सपना आज भी अधूरा है। वह ऐसा नहीं चाहते थे कि गोरे अंग्रेज चले जाएं और उनकी जगह जाति व धर्म की राजनीति करने वाले लोग देश की बागडोर संभालें। आज भी देश में सबको शिक्षा व चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिनके पास पैसा है, वह अच्छी शिक्षा व चिकित्सा का लाभ ले पा रहे हैं। भगत सिंह ने एक ऐसे समाजवादी देश का सपना देखा था, जहां अमीर-गरीब की खाई न हो। लोग समानता व भाईचारे के साथ बिना किसी भेदभाव के रहें। तिरंगा यात्रा में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गौ माता सेवा संस्था के जिला अध्यक्ष करन प्रजापति जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कौन-कौन था शामिल ?
तिरंगा यात्रा में गौरव कुशवाहा,बादल गुप्ता, सचिन कमांडो, अरविंद, सुशील कुमार, कन्हैयाठाकुर, दीपू, रोहित, सागर, विशाल, सौरभ सिंह, पवन, जितेंद्र यादव, जगदीश कश्यप, राहुल वर्मा आदि सभी लोग मौजूद रहे।
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