पंडित गौरव देव – दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते है।
दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व
यदि मनुष्य सही तरीके से और सही विधि से पाठ करता है या कराता है तो मनुष्य के जीवन की समस्त परेशानियां समाप्त हो जाती है। या ये कहिए कि समस्या उसके घर का रास्ता भूल जाती है।
दुर्गा सप्तशती पाठ का फल
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 1
किसी भी प्रकार की चिंता है, किसी भी प्रकार का मानसिक विकार यानी की मानसिक कष्ट है। तो दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से इन सभी मानसिक विचारों और दुष्चिंताओं से मुक्ति मीलती है।
इंसान की चेतना जागृत होती है और विचारों को सही दिशा मीलती है। किसी भी प्रकार की नेगेटिव विचार आप पर हावी नहीं होते, तो दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय से आपको हर प्रकार की मानसिक चिंताओं से मुक्ति मीलती है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 2
दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय के पाठ से मुकदमे में विजय मीलती है। किसी भी प्रकार का आपका झगड़ा हो, वाद विवाद हो, उसमें शांति आती है, और आपके मान, सम्मान की रक्षा होती है।
दूसरा पाठ विजय के लिए होता है। लेकिन आपका उद्देश्य आपकी मंशा सही होनी चाहिए तभी ये पाठ फल देता है। अगर आप झूठ की बुनियाद मैं कभी इस अध्याय का पाठ करते हैं और चाहते हैं कि माँ आपकी सहायता करें, तो ये आपकी बहुत बड़ी भूल है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 3
तीसरे अध्याय का पाठ शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। दोस्तों शत्रुओं का भय व्यक्ति के जीवन में बहुत पीड़ा का कारण होता है क्योंकि भय ग्रस्त व्यक्ति चाहे वो कितनी भी सुख सुविधा में रह रहा, कभी भी सुखी नहीं रह सकते।
अगर आपके गुप्त शत्रु हैं जिनका पता नहीं चलता और जो सबसे ज्यादा हानि पहुंचा सकते हैं तो ऐसे शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए तीसरे अध्याय का पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 4
दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय माँ की भक्ति प्राप्त करने के लिए उनकी शक्ति उनकी ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए और उनके दर्शनों के लिए सर्वोत्तम है।
वैसे तो इस ग्रंथ के हर अध्याय के हर शब्द में माँ की ऊर्जा निहित है। फिर भी माँ की निष्काम भक्ति महसूस करने के लिए और दर्शनों के लिए यह अध्याय सर्वश्रेष्ठ जान पड़ता है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 5
पांचवे अध्याय के प्रभाव से हर प्रकार के भय का नाश होता है। चाहे वो भूत प्रेत की बाधा हो,या बुरे स्वप्न परेशान करते हो। या व्यक्ति हर जगह से परेशान हो। तो पांचवें अध्याय के पाठ से इन सभी चीजों से मुक्ति मीलती है।
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दुर्गा सप्तशती अध्याय – 6
छठवीं अध्याय का पाठ किसी भी प्रगति के तंत्र बाधा हटाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा आपको लगता है कि आपके ऊपर जादू ,टोना किया गया हो।
आपके परिवार को बांध दिया हो। या राहु और केतु से आप पीड़ित हो। छठवें अध्याय का पाठ इन सभी कष्टों से आपको मुक्ति दिलाता है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 7
किसी भी विशेष कामना की पूर्ति के लिए सातवाँ अध्याय सर्वोत्तम है। अगर सच्चे और निर्मल दिल से माँ की पूजा की जाती है और सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है तो व्यक्ति की कामना पूर्ति अवश्य होती।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 8
अगर आपका कोई प्रिय आपसे बिछड़ गया हैं, कोई गुमशुदा है और आप उसे ढूँढकर थक चूके हैं तो आठवें अध्याय का पाठ चमत्कारिक फल प्रदान करता है।
बिछड़े हुए लोगों से मिलने के लिए। इसके अलावा वशीकरण के लिए भी इस अध्याय का पाठ किया जाता है, लेकिन वशीकरण सही व्यक्ति के लिए किया जा रहा है।
सही मंशा के साथ किया जा रहा हो, इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, नहीं तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसके अलावा धन लाभ के लिए धन प्राप्ति के लिए भी आठवें अध्याय का पाठ बेहद शुभ माना जाता है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 9
नौवा अध्याय का पाठ संतान के लिए किया जाता है। पुत्र प्राप्ति के लिए या संतान से संबंधित किसी भी परेशानी के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के नवीन अध्याय का पाठ किया जाता है। इसके अलावा कोई भी व्यक्तियों से मिलने के लिए भी नौवें अध्याय का पाठ करना उत्तम होता है।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 10
अगर संतान गलत रास्ते पर जा रही है तो ऐसी भटकी हुई संतान को सही रास्ते पर लाने के लिए दसवां अध्याय सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे और योग्य पुत्र की कामना के साथ अगर दसवीं अध्याय का पाठ किया जाए, तो योग्य संतान की प्राप्ति होती।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 11
अगर आपके व्यापार में हानि हो रही है, पैसा का जाना रुक नहीं रहा है। किसी भी प्रकार से धन की हानि आपको हो रही हो। तो इस अध्याय का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से अनावश्यक खर्चे आपके बंध हो जाते है। और घर में सुख शांति का वास होता है।
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दुर्गा सप्तशती अध्याय – 12
बाहरवा अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा व्यक्ति पर गलत दोषारोपण व्यक्ति के ऊपर कर दिया जाता है, जिससे उसके सम्मान की हानि होती है। तो ऐसी स्थिती से बचने के लिए दुर्गा सप्तशती के 12 वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
रोगों से मुक्ति के लिए भी 12 वें अध्याय का पाठ करना असीम लाभकारी है। कोई भी ऐसा रोक जिससे आप बहुत सालो से दुखी है और डॉक्टर की दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है। तो 12 वे अध्याय का पाठ आपको अवश्य करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती अध्याय – 13
तेहरवे अध्याय का पाठ माँ भगवती की भक्ति प्रदान करता है। किसी भी साधना के बाद माँ की पूर्ण भक्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अति महत्व है।
किसी विशे मनोकामनाओ को पूर्ण करने के लिए, किसी भी इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए, यह अध्याय का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।
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