pehelwan

अरे गामा पहलवान हो क्या…!

अरे गामा पहलवान हो क्या…!

नेहा राठौरउन्नीस सौ साठ की बात है.. लाहौर के एक साधारण से घर में कोई मरणासन्न देह पड़ी हुई थी। बदन हड्डियों का ढांचा भर था।‌ चील जैसी आंखें कोटरों में धंस गयी थी। शरीर पर यहां-वहां मक्खियां भिनभिना रही थीं और वह व्यक्ति उन मक्खियों को उड़ाने में असमर्थ था।‌ब्रिटेन का एक पत्रकार यह सब देख रहा था। बिस्तर पर लेटे उस व्यक्ति ने बुदबुदाते हुए कहा;भारत छोड़ कर पाकिस्तान आना बहुत बड़ी गलती थी ! वह व्यक्ति रुस्तमे जमां गामा था। जिसका नाम लिखते हुए मैं लोमहर्षक भाव से भर उठता हूं। मुझे आज भी यह स्वीकारने में…
Read More