Operation Thunderbolt: एक ऐसा रेस्क्यू ऑपरेशन, जिसमें 56 मिनट के अंदर खत्म हो गई दुश्मन की आधी वायुसेना

नेहा राठौर

यह कहानी जून 1976 की है। जब 106 यात्रियों से भरे विमान को हाईजैक कर लिया गया था। सभी यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने की प्रक्रिया को ऑपरेशन थंडरबोल्ट (ऑपरेशन एंटेबे) नाम दिया गया। थंडरबोल्ट का मतलब बिजली होता है और वाकई ये ऑपरेशन बिल्कुल बिजली की रफ़्तार से हुआ। सिर्फ 56 मिनट में इजरायल की आर्मी ऑपरेशन पूरा कर वापस अपने देश आ गई 102 यात्रियों के साथ। लेकिन आखिर ये हाईजैक किया क्यों गया था? और इसके पीछे क्या मकसद था?

27 जून 1976 एयर फ्रांस की एयर बस 203 ने इजरायल के तेल अवीव शहर से ग्रीस की राजधानी एथेंस के लिए 246 यात्रियों (जिसमे ज्यादातर लोग इजरायली थे) और 12 क्रू मेंबर्स (फ्रेंच) के साथ उड़न भरी। एथेंस पहुँचने के बाद विमान में 58 यात्री और चढ़े। उन्ही में से 4 अपहरणकर्ता थे जिनमें से एक लड़की थी। एथेंस से विमान को पेरिस जाना था लेकिन जैसे ही विमान ने उड़न भरी। उसी के 5 मिनट बाद प्लेन हाईजैक कर लिया गया। अपहरणकर्ताओं के पास पिस्तौल और हैण्ड ग्रेनेड थे। उनमें से दो फिलिस्तीनी लेबर फ्रंट से थे और दो जर्मनी क्रन्तिकारी सेल से जुड़े थे। उस वक़्त एयरपॉट पर इतनी कड़ी सुरक्षा नहीं होती थी। इसीलिए अपहरणकर्ता आसानी से विमान में घुस पाये। विमान में जाते ही एक अपहरणकर्ता विमान चालक के पास जाता है और उससे लीबिया के शहर बेंगाज़ी जाने को कहता है। विमान चालक ए.टी.सी(एयर ट्रैफिक कन्ट्रोल) से बेंगाज़ी में विमान उतरने की आज्ञा मांगता है और सारी बात बताता है। उसे विमान उतरने की इजाज़त मिल जाती है।

यूगांडा के एंबेटे पहुंचा विमान

फ्यूल भरने के बाद बेंगाज़ी में 7 घंटे विमान रुका रहता है उसके बाद विमान को वहाँ से यूगांडा के एंबेटे एयरपोर्ट ले जाया जाता है। 28 जून दोपहर 3 बजे विमान एंटेबे पहुँचता है। विमान के वहाँ पहुँचने पर कोई हलचल नहीं होती। ऐसा लगता है जैसे पहले से ही तय था कि विमान वहीँ आएगा। एयरपोर्ट पर पहले से ही अपहरणकर्ताओं के 5 साथी खड़े थे। वो भी फिलिस्तीनी थे।

कौन है ईदी अमीन

ईदी अमीन के बारे में तो सब जानते होंगे वो उस समय युगांडा का राष्ट्रपति था। ईदी अमीन को लोग आदमखोर भी कहते थे क्योंकि वो इंसानो का मांस खाता था। ऐसा उसने खुद कहा था। यूगांडा और ईदी अमिन फिलिस्तीन के समर्थक थे और इजरायल के विरोधी। उस वक़्त फिलिस्तीन में आज़ादी के लिए प्रदर्शन हो रहे थे। ये सारा खेल ईदी अमीन के इशारों पर खेला जा रहा था। एयरपोर्ट को चारों तरफ से युगांडा आर्मी ने घेरा हुआ था। कुछ समय बाद खुद ईदी अमीन वहाँ देखने पहुँचता था।

उन लोगों की मांग थी कि 40 फिलिस्तीनी जो इजरायल की जेल में है और 13 लोग जो केन्या, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, और वेस्ट जर्मनी की जेल में है उनकी आज़ादी और 5 मिलियन अमेरिकन डॉलर। उन्हें मांगे पूरी करने के लिए 1 जुलाई तक का वक़्त दिया गया। 29 जून को उन्होंने यात्रियों को दो भागों में बाँट दिया। 94 इजरायलियों, 12 क्रू मेंबर्स को एयरपोर्ट के ट्रांसमिट हॉल में और बाकी यात्री जो अलग -अलग जगह से थे उन्हें अलग रखा गया।

इजरायल ने लगाई मदद की गुहार

इजरायल ने दूसरे देशों से मदद मांगी। उन्होंने ईदी अमीन पर दबाव बनाया। दवाब के कारण उसने 48 लोगों (गैर इजरायली) को छोड़ दिया। इजरायल ने मांग पूरी करने के लिए और समय माँगा। ईदी अमिन मान गया और नया समय 4 जुलाई दोपहर 12 बजे दिया गया। उसके कुछ घंटों बाद ही अपहरणकर्ताओं 100 लोगो (गैर इजरायली) को एक स्पेशल प्लेन के जरिये पेरिस छोड़ दिया।

अब वहां उनके कब्जे में 116 लोग बचे थे। 3 जुलाई शाम 6:30 बजे इजरायली सरकार की मीटिंग हुई। इजरायल का एक उसूल है कि वो कभी आतंकवादियों से समझौता नहीं करता। इसीलिए वो योजना बनाते है कि वो हवाई रस्ते से यूगांडा में रात के वक़्त घुसेंगे। इस ऑपरेशन का नेतृत्व ब्रिगेडियर जनरल डैन शोमरन कर रहे थे। ऑपरेशन के फील्ड कमांडर थे (आई. डी. ऍफ़) अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू। इजरायल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के लोगों ने पेरिस में यूगांडा से आये लोगों से पूछताछ की और उनसे छोटी से छोटी जानकारी ली।

उम्मीद की किरण

युगांडा के एयरपोर्ट का ढांचा इजरायल की एक कंपनी ने बनाया था जिसका मालिक इजरायल में था। उससे मोसाद एयरपोर्ट का एक नक्शा बनवाया गया। अब यूगांडा जाने में दो समस्या थी। पहली की प्लेन ज़मीन से 100 फ़ीट ऊपर उड़ान पड़ेगा नहीं तो पकड़े जायेंगे। और दूसरी रनवे लाइट जो वहाँ बंद होंगी और बिना रनवे लाइट के प्लेन लैंड नहीं कर सकता। लेकिन इन दोनों समस्याओं का समाधान निकाल लिया गया और 3 जुलाई रात 9 बजे इजरायल के 4 हरक्यूलिस प्लेन युगांडा के शर्म अल एयरपोर्ट पर उतारे गये।

उनमें से एक प्लेन खाली था यात्रियों के लिए और दो में आर्मी के कमांडर थे और एक में एक काली मर्सिडीज और कई लैंड रोवर गाड़ियां थी। मोसाद के मुताबिक, ईदी अमीन हमेशा काली मर्सिडीज में घूमता था। और उसके सुरक्षाकर्मी लैंड रोवर कार में। सबसे पहले प्लेन में कार थीं। जिनमें पहले से ही कमांडर बैठे हुए थे। जैसे ही मर्सिडीज वहाँ से गुज़री, वहाँ की सारी आर्मी ने उन्हें सलाम किया। लेकिन दो कमांडर जो पहले ईदी अमिन के साथ रह चुके थे। उन्हें पता था कि तीन दिन पहले ईदी अमिन ने सफेद मर्सिडीज खरीदी थी। और तब से वो उसी का इस्तेमाल कर रहा था। वो उन्हें देखते ही उन पर ए.के 47 से गोली चलाने लगते हैं। जिससे सब सतर्क हो जाते हैं।

इजरायली आर्मी की तैयारी

कुछ इजरायली कमांडरों ने उन्हें चकमा देने के लिए वहाँ की आर्मी की वर्दी पहन रखी थी। इजरायली आर्मी को चार भागों में बांटा गया था। पहली टीम यात्रियों को सुरक्षित विमान में बिठाएगी, दूसरी एयरपोर्ट रनवे पर रुकेगी, तीसरी आर्मी से लड़ाई करेगी और चौथी टर्मिनल में जाकर यात्रियों को विमान तक पहुँचाएगी।

6 मिनट में सारे यात्रियों को निकल लिया गया। इस ऑपरेशन में 9 अपहरणकर्ता, 48 युगांडा आर्मी के कमांडो, योनातन नेतन्याहू और एक यात्री मारे गए। इजरायली आर्मी के 5 कमांडर घायल हो गये। जाते -जाते  इजरायली आर्मी ने एयरपोर्ट पर 9 मिग प्लेन और कई एयरप्लेन को उड़ा दिया। ताकि वो पीछा न कर सके। ये सारा ऑपरेशन 56 मिनट में पूरा कर इजरायली आर्मी 102 यात्रियों के साथ वापस इजरायल पहुँच गई। उन यात्रियों में से एक महिला युगांडा के अस्पताल में थी। ईदी अमीन ने गुस्से में उसे वहीं गोली मारने का आदेश दे दिया।

By Quick News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *