गाजियाबाद | संवाददाता रिपोर्ट
गाजियाबाद की फर्स्ट एसीजीएम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मसूरी थाना क्षेत्र में तैनात रहे तत्कालीन थाना प्रभारी अजय चौधरी की सैलरी से कटौती का आदेश दिया है। यह आदेश वर्ष 2022 में एक पूर्व फौजी के साथ कथित दुर्व्यवहार और न्यायिक आदेशों की अनदेखी के संदर्भ में दिया गया है।
क्या है मामला?
यह केस पूर्व सैनिक इंद्र फौजी से जुड़ा है, जिन्हें वर्ष 2022 में शराब ठेके के पास शराब पीने के आरोप में मसूरी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में सामने आए सीसीटीवी फुटेज में पुलिस द्वारा उन्हें कथित रूप से जबरन वाहन में बिठाकर ले जाने और कोर्ट में हथकड़ी लगाकर पेश किए जाने की तस्वीरें सामने आईं, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया।
इंद्र फौजी ने जेल से छूटने के बाद कोर्ट में अर्जी दायर कर संबंधित पुलिस अधिकारियों पर फर्जी केस दर्ज कराने और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। मामला न्यायालय में पहुंचा और कई बार अजय चौधरी को गवाही के लिए बुलाया गया, परंतु वह पेश नहीं हुए।
कोर्ट का रुख और आदेश
कोर्ट ने बार-बार समन भेजने और उपस्थिति न होने को गंभीरता से लिया। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए अजय चौधरी की सैलरी से कटौती करने का आदेश दिया। कोर्ट का यह फैसला पुलिस तंत्र में जवाबदेही (Accountability) की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
वकील का पक्ष
पूर्व फौजी के वकील रामबीर कसाना का कहना है, “पुलिस ने न्यायालय के आदेशों को लगातार नजरअंदाज किया, जो कि न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। कोर्ट का यह फैसला आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक उदाहरण है।”
पुलिस की प्रतिक्रिया अभी लंबित
मामले में पुलिस विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह स्पष्ट नहीं है कि संबंधित अधिकारी इस आदेश के खिलाफ किसी उच्च न्यायालय में अपील करेंगे या नहीं।
समाज और सिस्टम के लिए संदेश
यह मामला जहां एक ओर कानून के समक्ष सभी की समानता को रेखांकित करता है, वहीं यह भी दर्शाता है कि सिस्टम में नागरिकों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया सक्रिय है — चाहे मामला किसी भी स्तर के अधिकारी या नागरिक से जुड़ा हो।