एक ऐसा हनुमान मंदिर, जहां चढ़ते हैं 25 लाख नारियल

सालासर बालाजी,
राजस्थान के सालासर बालाजी धाम में हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर जबरदस्त चहल-पहल है। आज यहां देश के हर राज्य से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। कोई पैदल तो कोई वाहनों से। अपार उत्साह और मन्नतों के साथ। यह माहौल यहां के मुख्य मेले से कम नहीं है, जो हर साल शरद पूर्णिमा पर भरता है।

भगवान को फूल, मालाएं, प्रसाद, ध्वजा और नारियल अर्पित करते हैं। सालासर में भी आपको हर दूसरे तीसरे श्रद्धालु के हाथ में यह सब चीजें दिखेंगी, लेकिन इन सब में सबसे खास है नारियल। इस मंदिर में हर साल करीब 25 लाख नारियल चढ़ते हैं। मनौती के इन नारियलों का दोबारा उपयोग न हो इसलिए इन्हें खेत में गड्‌ढा खोदकर दबा देते हैं।

कहते हैं कि सालासर बालाजी को प्रसन्न करना है तो उन्हें प्रसाद व ध्वजा के साथ नारियल जरूर चढ़ाएं। इसी मान्यता ने यहां नारियल को श्रद्धा का प्रतीक बना दिया है। करीब 200 सालों से श्रद्धालु मंदिर परिसर में ही लगे खेजड़ी के एक पेड़ पर लाल कपड़े में नारियल बांधकर जाते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं, लेकिन यह कहानी इतनी भर नहीं है।

ऐसे शुरू हुआ नारियल बांधने का चलन
बताया जाता है कि सीकर के रावराजा देवी सिंह की संतान नहीं थी। वे पुत्र गोद लेने के लिए बलारां जा रहे थे। इसी दौरान ढोलास गांव के पास एक विशाल वृक्ष की डाल नीचे झुकी हुई थी। यहां मोहन दासजी के गुरुभाई गरीब दास जी कुटिया बनाकर रहते थे।
हाथी पर सवार रावराजा को जब यहां से निकलने में असुविधा हुई तो उन्होंने उसे कटवाने का आदेश दिया, लेकिन गरीब दासजी ने रावराजा को उसी रास्ते से निकलने को कहा। जब राजा वहां से निकल रहे थे तो पेड़ की शाखा अपने आप ऊंची हो गई।
यह चमत्कार देख देवी सिंह ने गरीब दास जी को प्रणाम कर संतान सुख नहीं होने की बात बताई। तब उन्होंने महाराजा देवी सिंह से वंशवृद्धि के लिए मन्नत का नारियल बंधवाया था। महाराजा की मन्नत पूरी हुई तो यह प्रचलन बढ़ता गया। पिछले कई सालों में हर साल लाखों भक्त यहां मन्नत के नारियल बांधते हैं।

खेजड़ी के पेड़ पर बांधते हैं नारियल
हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि सालासर बालाजी मंदिर में भक्त बालाजी के दर्शनों के बाद महात्मा मोहनदास महाराज के धुने के पास और मंदिर के ठीक सामने खेजड़ी के पेड़ पर लाल ध्वजा में लपेट कर मन्नतों के नारियल बांधते हैं, हालांकि कुछ भक्त इसे तोड़कर भोग के रूप में चढाते हैं, जो प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है।
लोग पेड़ के अलावां मंदिर में लगे ग्रिल पर भी नारियल बांधते हैं। पूरे मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की और से बांधे हजारों नारियल दिख जाएंगे।

एक बार चढ़ा नारियल दोबारा उपयोग नहीं होता
यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि सालासर बालाजी मंदिर में चढ़ावे में आई कोई भी चीज दोबारा इस्तेमाल नहीं की जाती और ना ही बेची जाती है। जहां तक मन्नतों के नारियलों की बात है, ज्यादा होने पर इन्हें ससम्मान उतार कर ट्रैक्टर ट्रॉली से खेत में पहुंचा दिया जाता है।

सपने के बाद बदली परंपरा
रोजाना यहां पांच से सात हजार नारियल चढ़ाए जाते हैं। मेले के दिनों में यह संख्या इससे चार पांच गुना हो जाती है। मंदिर की स्थापना से ही यह सिलसिला चलता आ रहा है। ऐसे में आज तक यहां करोड़ों नारियल चढ़ाए जा चुके हैं, लेकिन लोगों की श्रद्धा और मन्नतों से जुड़े इन नारियल को यहां मंदिर में चढ़ाने के बाद ना तो फेंका जाता है, ना ही जलाया जाता है और ना ही कोई अन्य उपयोग होता है।
इन्हें आमजन की पहुंच से दूर सालासर बालाजी मंदिर से करीब 11 किलोमीटर दूर मुरड़ाकिया गांव के पास करीब 250 बीघा खेत में गड्ढा करके दबा दिया जाता है। इन नारियलों को ऐसे दबाने के पीछे भी एक रोचक कहानी जुड़ी है।
मंदिर से 11 किलोमीटर दूर मुरड़ाकिया गांव में मंदिर के पुजारियों का खेत है, जहां श्रद्धालुओं के चढ़ाए नारियल को 20 से 25 गहरा गड्ढा खोदकर दबा दिया जाता है।
यशोदा नंदन पुजारी ने बताया कि शुरुआती दिनों में इन नारियलों को धूने की ज्योत में डालकर जला दिया जाता था। तीसरी पीढ़ी के पुजारी परिवार के मुखिया को एक सपना आया।
सपने में पुजारी ने देखा कि नारियलों के साथ भक्तों की मनोकामनाएं भी जल रही हैं। पुजारी ने अपने परिवारजनों को इकट्ठा कर यह बात बताई। तब से मन्नतों के इन नारियलों को सुरक्षित रखने का फैसला किया गया।

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एक साल में भक्त चढ़ा देते हैं 25 लाख नारियल
सालासर में प्रसाद की करीब तीन सौ दुकानें है, जिन पर नारियल बिकते हैं। पूर्णिमा के पखवाड़े में यहां हर रोज 5 हजार से ज्यादा नारियल बिकते हैं। मेले के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। होलसेलर व्यापारी सुशील पोद्दार ने बताया कि सालासर में साल भर में 25 लाख से ज्यादा सूखे नारियल बिकते हैं
चार होलसेलर हैं, जो आंध्र प्रदेश के पलकोल और अंबाजी पेटा से नारियल मंगाते हैं। ये चार होलसेलर साल में करीब 15 लाख नारियल बेचते हैं। इसके अलावा रिटेल व्यापारी जयपुर सहित कई जगह से नारियल मंगवाते हैं।

5 रुपए के चढ़ावे से हुआ था मंदिर का निर्माण
करीब 268 साल पहले संत मोहन दासजी महाराज ने बालाजी के चढ़ावे में आए पांच रुपए से मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर बनाने के पीछे का मकसद भी श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। सम्वत् 1811 श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित हुई थी।
बाद में संत मोहन दासजी ने फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ नामक कारीगरों को मंदिर निर्माण के लिए बुलाया। सम्वत् 1815 में निर्माण पूरा हुआ। वर्तमान में मंदिर परिसर लंबे-चौड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है और सभी सुविधाएं भी हैं।

सिर्फ यहां पर ही हैं दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी
बताया जाता है कि मोहन दास महाराज अपनी बहन कान्ही बाई के घर भोजन कर रहे थे, तभी बालाजी ने उन्हें साधु के वेश में दर्शन दिए। मोहन दास महाराज ने बालाजी को दाढ़ी-मूंछ में देखा तो दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा का ही शृंगार किया, जो सालासर मंदिर में विराजमान हैं। संभवत: देश में सालासर एकमात्र जगह है, जहां बालाजी दाढ़ी-मूंछ में विराजमान हैं।

अगले तीन दिन 19 घंटे खुलेगा मंदिर
सालासर में हनुमान जन्मोत्सव पर चैत्र पूर्णिमा के तीन दिवसीय मेले में तीन लाख से ज्यादा लोग बालाजी के दर्शन करेंगे। मेले के दौरान मंदिर रोज 19 घंटे खुला रहेगा। पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए मेले के दौरान मंगलवार को रात तीन बजे पट खोले गए।
बुधवार को श्रद्धालुओं की संख्या पीक पर रहेगी। ऐसे में रात दो बजे या इससे पहले भी पट खोले जा सकते हैं। जो अगले दिन रात 9 बजे तक खुले रहेंगे।

हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष यशोदा नंदन पुजारी ने बताया कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुलिस थाने के सामने से बालाजी बगीचा मेला ग्राउंड से होते हुए 6 किलोमीटर की रेलिंग बनाई गई है।
इस रेलिंग से होकर श्रद्धालु बालाजी के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। 6 किलोमीटर रेलिंग में एक अंडरपास और तीन ओवरपास हैं। रेलिंग व मेला परिसर में 175 सीसीटीवी कैमरों से सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

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करीब एक हजार सुरक्षाकर्मी रहेंगे तैनात
हनुमान जन्मोत्सव मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने एक एएसपी, 5 डीएसपी, 10 सीआई, 34 एसआई, 36 एएसआई, 119 हेड कॉन्स्टेबल, 354 कॉन्स्टेबल, 54 महिला कॉन्स्टेबल और 200 अन्य पुलिसकर्मी सहित हाईवे पेट्रोलिंग के सुरक्षाकर्मी लगाए हैं।

मेले में दो दमकल, दो एंबुलेंस सहित एक क्रेन हर समय मौजूद है। बता दें कि मंदिर परिसर और रेलिंग में 200 निजी सुरक्षा गार्ड और स्वयंसेवक भी तैनात हैं। मेले के दौरान मेडिकल की भी खास व्यवस्था रहेगी।

By Quick News

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