kaagaz 2 movie review

Kaagaz 2 (Film Review) : आम इंसान का दर्द, राजनीतिक व सामाजिक व्‍यवस्‍था पर चोट है ये फिल्म ‘कागज 2’

Kaagaz 2 (Film Review) : आम इंसान का दर्द, राजनीतिक व सामाजिक व्‍यवस्‍था पर चोट है ये फिल्म ‘कागज 2’

अंशुल त्यागी, आम आदमी और खास आदमी के बीच इन दिनों खाई इतनी लंबी और गहरी है कि उसे पाट पाना अब बहुत मुश्किल हो चला है। सबके लिए कानून में बराबर अधिकार दिया गया है, लेकिन आम आदमी को इसकी जरूरत पड़े, तो क्या वाकई कानून उसकी मदद के लिए साथ खड़ा होता है! फिल्म 'कागज 2' (Kaagaz 2) इसी की पड़ताल करती एक संवेदनशील फिल्म है। इस कड़ी की दो साल पहले आई फिल्म 'कागज' भी एक आम आदमी की कहानी थी, जिसे जिंदा होने के बावजूद सरकारी कागजों में मृत बताया गया होता है। सतीश कौशिक के…
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