नेहा राठौर
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर कहना गलत नहीं होगा। शनिवार को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्या मामले में गाजीपुर की विशेष MP-MLA Court ने अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने मामले में मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई व गाजीपुर से BSP सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) को दोषी करार दिया है। मुख्तार अंसारी को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही पांच लाख का जुर्माना भी देना होगा। वहीं उनके भाई अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई गई है। इसके बाद से यह माना जा रहा है कि अब अफजाल की संसद सदस्यता छीनी जा सकती है क्योंकि कानून में दो से ज्यादा साल की सजा होने पर सदस्यता अपने आप ही खत्म होने का प्रावधान है। इस केस की सुनवाई एक अप्रैल को ही पूरी हो गई थी।
बता दें कि साल 1996 में मुख्तार अंसारी पर विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और कोयला व्यापारी नंदकिशोर रुंगटा (Nandkishor Roongta) के अपहरण और साल 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय (BJP MLA Krishnanand Rai) की हत्या में शामिल होने का केस दर्ज कराया गया था। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय (BJP MLA Krishnanand Rai) की हत्या के समय मुख्तार जेल में ही बंद था, इसके बावजूद उसे इस हत्या मामले में नामजद किया गया।

क्या है कृष्णानंद राय की हत्या का मामला
दरअसल, ये सारा मामला राजनीति से ही शुरू हुआ। साल 1985 से गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर अंसारी परिवार का कब्जा था। लेकिन साल 2002 के विधानसभा चुनाव में यानी पूरे 17 साल बाद बीजेपी के कृष्णानंद राय ने यहां जीत दर्ज की और विधायक चुने गए। लेकिन उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया। विधायक चुने जाने के करीब तीन साल बाद ही उनकी हत्या कर दी गई।
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जिस वक्त उनकी हत्या की गई उस वक्त वे एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके वापस लौट रहे थे कि तभी अचानक उनकी बुलेट प्रूफ टाटा सूमो गाड़ी को चारों तरफ से कुछ लोगों ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। इस हमले के दौरान कृष्णानंद राय के साथ गाड़ी में छह लोग और भी थे। गाड़ी पर AK-47 से करीब 500 बार फायरिंग की गईं। इस हमले में गाड़ी में सवार सभी सातों लोग की मौत हो गई थी। जानकार यह दावा करते हैं कि गाजीपुर की पारिवारिक सीट हार जाने से मुख्तार अंसारी कृष्णानंद राय से नाराज़ थे।

अब तक इन मामलों में मिल चुकी है सज़ा
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सितंबर 2022 को एक जेलर को धमकाने के केस में मुख्तार अंसारी को सात साल की सजा सुनाई थी। मुख्तार अंसारी पर यह आरोप था कि उसने साल 2002 में जेलर पर पिस्टल तानकर उन्हें मारने की धमकी दी थी।
- इसके बाद गैंगस्टर एक्ट के तहत साल 1999 के एक मामले में मुख्तार को पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। मुख्तार अंसारी पर यह आरोप था कि वो एक गैंग को चला रहे हैं, जो हत्या, अपहरण और लूट जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देते हैं।
- मुख्तार अंसारी पर केस के चलते जुलाई 2022 में उसकी पत्नी अफ़सा अंसारी और उनके बेटे अब्बास अंसारी फरार हो गए।
- लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अगस्त 2020 में अफजाल अंसारी के घर को ध्वस्त कर दिया।
- साल 2019 से उसे पंजाब की रुपनगर जेल में बंद रखा गया था। अब वह उत्तर प्रदेश की जेल में कैद है।

बाहुबली से नेता बनने की कहानी
बता दें कि मुख़्तार अंसारी पांच बार विधायक रह चुका है। चार बार वो मऊ से लगातार विधायक चुना गया। उसने एक बार BSP के टिकट पर चुनाव लड़ा और दो बार निर्दलीय व एक बार ख़ुद की पार्टी कौमी एकता दल (Quami Ekta Dal) से चुनाव लड़ा।
मुख्तार अंसारी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र रहते ही कर ली थी। लेकिन जनप्रतिनिधि बनने से पहले ही लोगों के बीच उसकी छवि माफ़िया के रूप में उभर चुकी थी। पहली बार साल 1988 में उसका नाम हत्या के मामले में सामने आया था।हालांकि इस मामले में उसके खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। लेकिन ये मामला लगातार चर्चा में बना रहा। मुख्तार अंसारी पर यह आरोप है कि वो आज भी ग़ाज़ीपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के सरकारी ठेके नियंत्रित करता है।
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साल 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति में पूरी तरह से अपना कदम रखा। वह मऊ सीट से पहली बार 1996 में विधानसभा के लिए चुने गए। उस वक्त मुख्तार अंसारी के गुट की एक अन्य चर्चित माफ़िया गुट के नेता ब्रजेश सिंह से टकराव की खबरें चर्चा में थीं।
कहा जाता है कि अंसारी से मुकाबला करने के लिए ब्रजेश सिंह ने कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया था। साल 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राय ने मोहम्मदाबाद से अफजाल अंसारी को हराया था। इसके तीन साल बाद ही कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। इस केस में मुख्तार अंसारी को मुख्य अभियुक्त बनाया गया। दिसंबर 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के सिलसिले में उसे
जेल भेज दिया गया था।