डिम्पल भारद्वाज || एमसीडी के चुनाव हुए और उसके बाद जो परिणाम आया उसमें 250 में से 134 सीट आम आदमी पार्टी ने अपने नाम कर ली, तो वहीं भाजपा के हाथ 105 सीट आई। इन सीटों में एक निर्दलीय की शामिल रही। तो वहीं दुसरी ओर कांग्रेस पार्टी का ग्राफ और गिर गया और कांग्रेस को केवल 9 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। मतलब साफ था की इस बार बहुमत में आम आदमी पार्टी है और इस बार महापौर भी आप पार्टी का ही होगा लेकिन क्योंकि निगम में दल बदलने का कानून नहीं लगता लिहाज़ा भाजपा ने भी अपना महापौर का प्रत्याशी घोषित कर दिया और महापौर के चुनाव के लिये मैदान उतर आई। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिये अपना महापौर बनाना टेढी खीर नज़र आ रहा था।
और हुआ भी ऐसा ही दिल्ली नगर निगम के सदन में बीते 6 जनवरी को आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच एलजी वी के सक्सेना द्वारा मनोनीत 10 पार्षदों के शपथ को लेकर खूब हंगामा कटा। किसी पार्षद के हाथ का अंगूठा कटा तो किसी पार्षद के पैर में प्लास्टर ही चढ़ गया। और हंगामा होता देख सदन को स्थगित करना पड़ा।
और अब दिल्ली की जनता की निगाहें महापौर के चुनाव से कहीं ज्यादा उन सभी 10 मनोनीत पार्षदों के शपथ को लेकर टिक गई हैं। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन सभी 10 मनोनीत पार्षदों के शपथ को लेकर हुए भयंकर बवाल के बाद अब निर्णय यही लिया गया है कि उन सभी दसों मनोनीत पार्षदों का शपथ कार्यक्रम खुद एलजी के ही हांथो किया जा सकता है।
और इसके पिछे का कारण यह माना जा रहा है की दिल्ली नगर निगम केंद्र के आधीन है और दिल्ली में शासक उपराज्यपाल है जो जब चाहे और जैसे चाहे अपने अधिकार का इस्तेमाल कर इस तरह के निर्णय ले सकते हैं।